Zakat 2023

Zakat kitni deni hai?

जबरदस्त_मिसाल पढ़िएगा ज़रूर...

हम, "तरबूज" खरीदते हैं.

मसलन 5 किलो का एक नग

जब हम इसे खाते हैं

तो पहले इस का #मोटा_छिलका उतारते  हैं.

5 किलो में से कम से कम 1किलो

छिलका निकलता है...!

यानी तकरीबन 20%

क्या इस तरह 20% छिलका

जाया होने का हमे #अफसोस होता है?

क्या हम परेशान होते हैं. क्या हम सोचते हैं के हम  तरबूज को

ऐसे ही छिलके के साथ खालें. 

नही बिलकूल नाही!

यही हाल #केले, अनार, पपीता और

दीगर फलों का है. हम खुशी से छिलका उतार कर खाते हैं, हालांके हम ने इन फलों को #छिलकों_समेत खरीदा होता है..!!

मगर छिलका  फेंकते  वक्त हमे,बिल्कुल  तकलीफ नही होती..

इसी तरह #मुर्गा_बकरा साबुत खरीदते हैं. मगर जब खाते हैं, तो

इस के बाल,खाल वगैरे निकाल कर

फेंक देतें हैं.

क्या इस पर हमें कुछ #दुःख होता है ?

नही और हरगिज़ नहीं ...

तो फिर 40 हजार मे से 1 हजार देने पर

1लाख मे से 2500/-रूपये  देने पर

क्यो हमें बहुत तकलीफ होती है ?

हालांके ये सिर्फ  2.5% बनता है यानी 100/- रूपये में से सिर्फ  (ढाई) 2.50/-रूपये ।

ये तरबूज, आम, अनार वगैरे के छिलके और गुठली से कितना कम है,

इसे शरीयत मे #जकात फरमाया गया है,

इसे देने से

माल भी पाक, इमान भी पाक,

दिल और जिस्म भी पाक

और माशरा भी खुशहाल, 

इतनी  मामूली रकम यानी 40/-रूपये मे से सिर्फ 1 रूपया, 100 रूपये मे से सिर्फ 2.5 रूपया.

और फायदे कितने ज्यादा,

बरकत कितनी ज्यादा। 

इसलिए जकात दो।

इस बार ज़कात निकाल कर देखो अगर 2.5% देने पर तुरंत बरकत ना आये तो बताना

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 By अरमान सिंघल

●जज़ाक़ल्लाहु खैरा●

#Zakat2023 #zakatfitrah #ZakatAlFitr #zakat

पांच कलीमे

पांच कलीमे

1. कलमा तय्यब
2. कलमा शहादत
3. कलमा तमजीद
4. कलमा तौहीद
5. कलमा इस्तिग़फ़ार

. पहला कलमा तय्यब:

ला इलाहा इलल्लाहु मुहम्मदुर्रसूलुल्लाहि

तर्जुमा: अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और हज़रत मुहम्मद सलल्लाहो अलैहि वसल्लम अल्लाह के नेक बन्दे और आखिरी रसूल है।

. दूसरा कलमा शहादत:

अश-हदु अल्ला इलाहा इल्लल्लाहु वह दहु ला शरी- लहू अशदुहु अन्न मुहम्मदन अब्दुहु रसूलुहु

तर्जुमा: मैं गवाही देता हु के अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं। वह अकेला है उसका कोई शरीक नहीं. और मैं गवाही देता हु कि (हज़रत) मुहम्मद सलल्लाहो अलैहि वसल्लम, अल्लाह के नेक बन्दे और आखिरी रसूल है।

. तीसरा कलमा तमजीद:

सुब्हानल्लाही वल् हम्दु लिल्लाहि वला इला- इलल्लाहु वल्लाहु अकबर, वला हौल वला कूव्-- इल्ला बिल्लाहिल अलिय्यील अजीम

तर्जुमा: अल्लाह पाक है और सब तारीफें अल्लाह ही के लिए है और अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं। इबादत के लायक तो सिर्फ अल्लाह है और अल्लाह सबसे बड़ा है और किसी में तो ताकत है बल लेकिन ताकत और बल तो अल्लाह ही में है जो बहुत शान वाला और बड़ा है।

. चौथा कलमा तौहीद:

ला इलाह इल्लल्लाहु वह्-दहु ला शरीक लहू लहुल मुल्क लहुल हम्दु युहयी युमीतु हु- हय्युल-ला यमूतु --दन --दा जुल-जलालि वल इक् रामि वियदि-हिल खैर हु- अला कुल्लि शैइन क़दीर

तर्जुमा: अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं इबादत के लायक, वह एक है, उसका कोई साझीदार नहीं, सबकुछ उसी का है।और सारी तारीफ़ें उसी अल्लाह के लिए है। वही जिलाता है और वही मारता है. और वोह जिन्दा है, उसे हरगिज़ कभी मौत नहीं आएगी। वोह बड़े जलाल और बुजुर्गी वाला है। अल्लाह के हाथ में हर तरह कि भलाई है और वोह हर चीज़ पर क़ादिर है।

. पांचवाँ कलमा इस्तिग़फ़ार:

अस्तग़-फिरुल्ला- रब्बी मिन कुल्लि जाम्बिन अज-नब-तुहु --- अव् --अन सिर्रन अलानियतंव् अतूवु इलैहि मिनज-जम्बिल-लजी ला -अलमु इन्-- अन्- अल्लामुल गुयूबी व् सत्तारुल उवूबि व् गफ्फा-रुज्जुनुबि वाला हो- वला कुव्-- इल्ला बिल्लाहिल अलिय्यील अजीम

तर्जुमा: मै अपने परवरदिगार (अल्लाह) से अपने तमाम गुनाहो कि माफ़ी मांगता हुँ जो मैंने जान-बूझकर किये या भूल कर किये, छिप कर किये या खुल्लम खुल्ला किये और तौबा करता हु मैं उस गुनाह से, जो मैं जनता हु और उस गुनाह से जो मैं नहीं जानता. या अल्लाह बेशक़ तू गैब कि बाते जानने वाला और ऐबों को छिपाने वाला है और गुनाहो को बख्शने वाला है और (हम मे) गुनाहो से बचने और नेकी करने कि ताक़त नहीं अल्लाह के बगैर जो के बोहोत बुलंद वाला है।