Shirk
Islam Religion say
Not to find fault of others:(दूसरों की गलती न ढूंढ़ना)
What is Shirk?
Friend Recommendation: Only Pray to Allaah
दोस्त की सिफारिश ?: (सिर्फ अल्लाह से दुआ करो)
अंधी पैरवी: अंधी पैरवी और अंधी तक्लीद इंसान को हक़ तक पहुँचने की सबसे बड़ी रुकावट है,
दुनियाँ में क़ुरआन वाहिद एक ऐसी किताब है जिसने अक़्ल का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करने को कहा है, आज हमारे पास दीन के नाम पर सिवाय रस्म के और कुछ भी बाकी नहीं है,
हत्ताकि हमारी जुमा और नमाज़े भी महज रस्म अदायगी बनकर रह गई है जो कि अपने मक़सद से गायब है, हालात इसी लिये हमारे ऊपर तंग होते जा रहे है,
कादरी साहब चेहरे पर बेतहाशा गुस्से की हालत में घर में दाखिल हुए...चिल्ला कर बेगम को आवाज दी.
बेगम बेचारी घबराके आई.
सब ठीक तो है.?
क्या हो गया ?
तुम शेख साहब के घर गई थी ?
कादरी साहब ने अपने जिगरी और गहरे दोस्त के नाम के हवाले से पूछा.
और तुमने उनसे कहा कि वह मुझसे कहे कि मैं तुम्हें शॉपिंग के लिए पैसे दूं.?
हां गई थी ...और कहा भी था
बेगम ने हाँ में जवाब दिया.
कादरी साहब तकरीबन दहाड़ते हुए बोले शायद उनको बेगम से इंकार तवक्को़ थी ...
क्या मैं घर में नहीं था ?
काम से मेरी वापसी नहीं होनी थी ?
मैं मर गया था ?
मुझसे डायरेक्ट क्यों नहीं मांगे पैसे ?
शेख से क्यों मांगे. ?
बेग़म: अल्लाह न करे मांगे तो आप ही से हैं बस एक साहब आपके इतने करीबी दोस्त हैं तो उनसे जाकर बोल दिया कि आप से कहें कि आप मुझे पैसे दे दे ...बेगम ने मासूमियत से जवाब दिया . कादरी साहब को गुस्सा सवा नेज़े पर पहुंच गया ...दिमाग दुरुस्त है तुम्हारा?
घर में मौजूद अपने शौहर को छोड़कर तुम घर से निकली . दूसरे इलाके में मौजूद मेरे दोस्त के पास जा कर कह रही हो वह मुझे बोले ... मुझसे तुमने क्यों नहीं कहा?
बेग़म: अरे वह कितना करीबी दोस्त हैं उनकी बात की अहमियत भी ज्यादा होगी आपकी नजर में बेगम ने कादरी साहब के गुस्से को गोया हवा में उड़ा कर बदस्तूर नरम और मासूम लेहजे में कहा ... कादरी साहब ने खुद को अपने बाल नोचने से बड़ी मुश्किल से रोका .. और गुर्राते हुए बोले दोस्ती की बात की अहमियत उसकी अपनी बातों के लिए है
इसका यह मतलब नहीं कि …मेरी बीवी…मेरे बच्चे.. मेरे वालीदेन या बहने .. अपनी जरूरत के लिए मुझसे कहने के बजाय जा के मेरे दोस्तों को बोलेंगे...
तब मैं सुनूंगा वरना नहीं सुनूंगा... अरे जो मेरे अपने हैं वह अपनी जरूरत मुझसे नहीं बोलेंगे तो किससे बोलेंगे दोस्त जितना भी क़रीबी हो...
क्या मैंने तुमसे कहा तुम लोगों के पास जाकर अपनी जरूरत मेरे दोस्त से बोलो ?
क्या मेरे किसी दोस्त ने कहा तुमसे कि मेरे पास आए और अपनी जरूरत और मसाइल हमें बताएं ?
क्या आज तक मैंने तुम लोगों की जरूरत पूरी करने में कोई कोताही की ?
जो तुम दोस्त के पास चली गई ...
बोलो जवाब दो ...
ज़लील करवा दिया तुमने आज मुझे मेरे दोस्त के सामने...
क्या सोचता होगा वह मेरे बारे में.?
कादरी साहब बोलते-बोलते रोने वाले हो गए
बेगम ने इस बार बड़ी संजीदगी से कहा माफी चाहती हूं .
एक छोटे से खानदान का सरबराह होकर आपका गुस्सा इतना ऊपर पहुंचा हुआ है ..
आपके खानदान के एक फर्द यानी मैंने किसी गैर से नहीं बल्कि आपके ही एक दोस्त से सिफारिश क्यों करवाई.?
जबकि आपका रोज का मामूल है कि आप खुद खालीक़े कायनात की मखलुक़ होते हुए आप कभी दामाद रसूल ﷺ से मुश्किल कुशाई करवाना चाहते हैं कभी बाबा फरीद के दर पर कारोबार की तरक्की करवाना चाहते हैं
तो कभी शेख अब्दुल कादिर जिलानी रहमतुल्लाह अलेह को पुकारते हैं
तो कभी ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती रह. के पास बिगड़ी बनवाने जाते हो मना किया जाए तो जवाब मिलता है मांग तो हम अल्लाह सुबहान व तआ़ला ही से रहे हैं मगर उसके सच्चे दोस्तों के वसीले से.. क्यों दोस्तों से क्यों ? आप ही के मुताबिक क्या अल्लाह सुभहान व तआ़ला नऊज़ुबिल्लाह छुट्टी पर गए हुए हैं? मस्जिद या घर में पांच वक्त की अजान में हमारा रब हमें "फलाह यानी कामयाबी " की तरफ बुला रहा है आप जाते क्यों नहीं हो? जाते हैं तो क्या नमाज में उसे अपनी जरूरत नहीं बता सकते हो?
जब अपनी हाजत बता दी तो क्या जरूरत रह जाती है दूसरें बुज़ुर्गों के दर के चक्कर लगाए जाए ? क्या उन बुज़ुर्ग़ हस्तियों ने कहा? कि अल्लाह ने हमें तुम्हारी मुश्किलें दूर करने का हक अदा किया है ?
क्या अल्लाह ने कहा कि मुझे मेरे दोस्तों के जरिए से पुकारोगे तो सुनूंगा? जब आपको अपनी मामुली सरबराही में अपने अज़ीज़ तरीन दोस्त की शुमुलियत गवारा नहीं तो खालीक़े कायनात से उसकी उम्मीद क्यों रखते हैं ? गा़लीबन समझ गए होंगे आप कि मैं आपके दोस्त के पास क्यों गई थी...?
बेगम ने बात खत्म की और कमरे से निकल गई ....
कादरी साहब A.C. ऑन कर के पसीना सूखाने लगे..
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